दीपावली कब है: तिथि, महत्त्व और परंपराएं
दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह प्रकाश, खुशियों और समृद्धि का पर्व है। दीपावली का महत्त्व न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी बहुत गहरा है। लोग इस दिन अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं।
अब सवाल यह है कि दीपावली कब है? इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि दीपावली की तिथि कैसे निर्धारित होती है, इसका महत्त्व क्या है, और इसे किस प्रकार से मनाया जाता है।
दीपावली की तिथि कब होती है?
दीपावली का त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर में अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ती है। हर साल दीपावली की तिथि चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करती है, इसलिए इसकी तिथि में बदलाव होता रहता है।
वर्ष 2024 में दीपावली 1 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। यह दिन पांच दिवसीय दीपावली उत्सव के मध्य का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, जिसे 'दीपावली की रात' या 'बड़ी दीपावली' कहा जाता है।
दीपावली का महत्त्व
दीपावली को 'प्रकाश का पर्व' कहा जाता है क्योंकि यह अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में नगरवासियों ने घी के दीयों से पूरा नगर रोशन किया था। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामूहिक खुशी, सामाजिक मेलजोल और नई शुरुआत का संकेतक भी है।
दीपावली के धार्मिक पहलुओं के अलावा, इसका आर्थिक और सांस्कृतिक महत्त्व भी है। लोग इस दिन अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, और धन-धान्य की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं ताकि आने वाला वर्ष समृद्धि और खुशहाली से भरा हो।
दिवाली का पांच दिवसीय उत्सव
1. धनतेरस: दीपावली का पहला दिन, धनतेरस, देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन नए बर्तन या गहने खरीदने की परंपरा है, जो समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है।
2. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसे 'छोटी दीपावली' भी कहा जाता है, और इस दिन लोग घर की साफ-सफाई और सजावट करते हैं।
3. दीपावली (बड़ी दीपावली): तीसरे दिन मुख्य दीपावली होती है, जब लोग लक्ष्मी पूजा करते हैं, घरों में दीये जलाते हैं, और आतिशबाजी करते हैं। यह दिन भगवान राम की अयोध्या वापसी और देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए जाना जाता है।
4. गोवर्धन पूजा: चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है, जिसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र देवता के कोप से गोकुलवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना का स्मरण किया जाता है।
5. भाई दूज: पांचवें और अंतिम दिन को भाई दूज कहते हैं। इस दिन भाई-बहन के रिश्ते को सम्मानित किया जाता है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुखद जीवन की कामना करती हैं, और भाई उन्हें उपहार देते हैं।
दिवाली के रीति-रिवाज और परंपराएं
दीपावली केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और पारिवारिक त्योहार भी है। इस दिन लोग अपने घरों और कार्यस्थलों को साफ-सुथरा करते हैं और दीयों से सजाते हैं। इसके अलावा, रंगोली बनाने, मिठाइयां बांटने, और पटाखे फोड़ने की परंपरा भी इस त्योहार का हिस्सा है।
1. लक्ष्मी पूजा: इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, ताकि घर में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहे।
2. दीयों का प्रकाश: दीपावली पर घर-घर में दीये जलाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
3. आतिशबाजी: लोग इस दिन आतिशबाजी करते हैं, जो खुशी और उत्सव का प्रतीक मानी जाती है।
4. मिठाइयां और उपहार: दीपावली के मौके पर परिवार और दोस्तों को मिठाइयां और उपहार देने की परंपरा है।
समापन
दिवाली न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक संबंधों का भी प्रतीक है। यह त्योहार अच्छाई की जीत, नई शुरुआत और समृद्धि की कामना का प्रतीक है। दीपावली के हर दिन के पीछे एक खास महत्त्व और धार्मिक कथा होती है, जो इसे और भी विशेष बनाती है।
इसलिए, चाहे आप पूजा-अर्चना में लीन हों या दोस्तों और परिवार के साथ खुशियां मना रहे हों, दिवाली का त्योहार सभी के जीवन में खुशियां, शांति और समृद्धि लाता है।
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