भारत त्योहारों का देश है, और इन त्योहारों में सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है दीपावली। दीपावली या दिवाली का अर्थ है "दीपों की पंक्ति"। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश में अंधकार पर प्रकाश की विजय का उत्सव मनाया जाता है। दीपावली के दिन घर-घर में दीप जलाए जाते हैं, जिससे चारों ओर उजाला फैल जाता है और वातावरण खुशहाल और पवित्र हो जाता है। दीपावली को "अंधकार से प्रकाश की ओर जाने" का प्रतीक माना जाता है।
दीपावली का महत्व
दीपावली का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व बहुत गहरा है। इस दिन भगवान रामचंद्र जी 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके आगमन की खुशी में अयोध्या के लोगों ने दीप जलाकर पूरे नगर को रोशन किया। तभी से दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा। इसके अलावा, यह दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह द्वारा हिरण्यकश्यप के वध का भी प्रतीक माना जाता है।
दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं, की पूजा भी की जाती है। इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन किया जाता है ताकि घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे। व्यापारी वर्ग के लिए यह दिन नए साल की शुरुआत का भी प्रतीक है, और वे इस दिन अपने पुराने खाता-बही बंद कर नए खाता-बही की शुरुआत करते हैं।
दीपावली के त्योहार का स्वरूप
दीपावली केवल एक दिन का पर्व नहीं है, बल्कि पांच दिनों का त्योहार है। इसका आरंभ धनतेरस से होता है और भाई दूज पर समाप्त होता है।
- धनतेरस: इस दिन लोग सोना, चांदी और नए बर्तन खरीदते हैं।
नरक चतुर्दशी इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है।
दीपावली: इस दिन घरों में दीप जलाए जाते हैं और लक्ष्मी पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजा: इसे अन्नकूट भी कहा जाता है और इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।
भाई दूज: यह दिन भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का पर्व होता है, जब बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
दीपावली और पर्यावरण पर प्रभाव
दीपावली का त्योहार जितना खुशियों का होता है, उतना ही चिंता का विषय पर्यावरण के लिए भी बन गया है। लोग पटाखे फोड़ते हैं, जिससे ध्वनि और वायु प्रदूषण बढ़ता है। हमें समझना चाहिए कि पर्यावरण का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते हुए हमें पटाखों से होने वाले प्रदूषण से बचना चाहिए और इसे एक स्वच्छ और सुरक्षित तरीके से मनाना चाहिए। आजकल 'ग्रीन दिवाली' की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है, जो पर्यावरण के प्रति हमारी सजगता को दर्शाता है।
दीपावली का धार्मिक महत्त्व
महत्वदीपावली का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान रामचंद्रजी, 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीप जलाए और नगर को रोशनी से सजाया। तभी से दीपावली का पर्व दीप जलाकर मनाया जाता है। इसके साथ ही, इस दिन को माता लक्ष्मी के पूजन का भी विशेष महत्व है। कहा जाता है कि दीपावली की रात को माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं और जो लोग श्रद्धा और भक्तिभाव से उनकी पूजा करते हैं, उनके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।दीपावली का सांस्कृतिक महत्वदीपावली न केवल धार्मिक पर्व है, बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी उतना ही अधिक है। यह पर्व परिवार और समाज में आपसी प्रेम, भाईचारे और सहयोग को बढ़ावा देता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ बाँटते हैं, शुभकामनाएँ देते हैं और आपसी मनमुटाव को भुलाकर प्रेम से गले मिलते हैं। इस प्रकार, दीपावली एक ऐसा पर्व है जो समाज में एकता और समरसता का संदेश देता है।दीपावली का आर्थिक महत्वदीपावली का आर्थिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व है। इस समय व्यापार और उद्योग-धंधों में खासा उत्साह देखने को मिलता है। विशेष रूप से व्यापारी वर्ग के लिए यह समय वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। दुकानों पर नए सामानों की भरमार होती है और लोग खरीदारी करते हैं। दीपावली के समय घरों की साफ-सफाई, सजावट और नए वस्त्रों की खरीदारी की जाती है। इस समय बाजारों में रौनक छा जाती है और व्यापार में भी वृद्धि होती है।
निष्कर्ष
दीपावली न केवल एक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, बल्कि यह एक सामाजिक पर्व भी है, जो हमें एकता, समृद्धि और भाईचारे का संदेश देता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई, अज्ञान पर ज्ञान और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। हमें दीपावली का त्योहार मिलजुलकर, खुशियों और प्रेम के साथ मनाना चाहिए और इसे पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी के साथ मनाने का संकल्प लेना चाहिए।
Thanks bro🤜
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