करवाचौथ पर चांद का इंतजार कर रहा था पति, तभी अचानक मिला पत्नी का पत्र, पढ़ते ही हुआ बेहोश
करवाचौथ, एक ऐसा त्यौहार जिसे हर सुहागन अपनी पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिल से मनाती है। यह त्यौहार भारतीय महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन वे अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूरे दिन का उपवास रखती हैं। लेकिन इस करवाचौथ की रात कुछ अलग ही मोड़ लेने वाली थी।
रमेश अपनी पत्नी सुमन के साथ पिछले दस सालों से करवाचौथ का व्रत मनाते आ रहे थे।
हर साल सुमन रमेश के लिए पूरे दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत रखती थी, और रमेश हमेशा शाम होते ही उसके लिए तरह-तरह के व्यंजन बनाता था ताकि चांद के दर्शन के बाद सुमन का व्रत धूमधाम से खुले। लेकिन इस साल की करवाचौथ की रात बिल्कुल अलग थी।
रमेश छत पर खड़ा होकर चांद का इंतजार कर रहा था।
आसमान में बादल छाए हुए थे और चांद का कोई अता-पता नहीं था। रमेश बार-बार घड़ी की ओर देखता, और फिर आसमान की तरफ। सुमन ने दिनभर का उपवास रखा हुआ था और वो नीचे कमरे में आराम कर रही थी। तभी अचानक रमेश को सुमन का लिखा हुआ एक पत्र मिला। पत्र उसके कमरे के मेज पर रखा हुआ था, और सुमन के हस्ताक्षर उस पर साफ नजर आ रहे थे।
रमेश ने बिना कोई शक किए पत्र उठाया और पढ़ना शुरू किया। जैसे-जैसे वो पढ़ता गया, उसकी आंखें चौड़ी होती गईं और सांसें तेज़। पत्र में लिखा था:
"प्रिय रमेश,
यह बात तुम्हें बताना मेरे लिए बहुत कठिन है, लेकिन अब और नहीं छिपा सकती। पिछले कई सालों से मैं एक राज़ अपने दिल में दबाए बैठी हूं। तुमने हमेशा मुझे प्रेम दिया, सम्मान दिया और हर त्योहार को खास बनाया। लेकिन मेरी ज़िंदगी में कुछ ऐसा घटित हुआ है जिसे छिपा कर रखना अब मेरे बस में नहीं है।
वो राज़ यह है कि...
मेरे दिल में अब तुम्हारे लिए पहले जैसा प्यार नहीं बचा है। मुझे माफ करना, पर मैं किसी और से प्रेम करती हूं। मैंने बहुत कोशिश की कि तुम्हें इस बात का अहसास न हो, लेकिन अब मैं खुद से और झूठ नहीं बोल सकती।
मैंने निर्णय लिया है कि मैं इस घर को हमेशा के लिए छोड़ रही हूं। मुझे उम्मीद है कि तुम मुझे माफ कर पाओगे और अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ पाओगे।"
यह शब्द पढ़ते ही रमेश की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा और अचानक ही उसे चक्कर आ गया। कुछ ही पलों में वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा।
जब सुमन कमरे में आई तो उसने रमेश को फर्श पर बेहोश पाया। घबराई हुई सुमन ने तुरंत उसे पानी के छींटे मारकर होश में लाया। रमेश को होश आया तो उसने कांपते हुए हाथों से सुमन की तरफ देखा और पूछा, "ये सब क्या है सुमन? क्या तुमने सच में ऐसा लिखा है?"
सुमन ने हंसते हुए कहा, "अरे नहीं रमेश, ये तो सिर्फ मजाक था! मैंने सोचा इस करवाचौथ पर तुम्हें कुछ अलग तरीके से चौंकाऊं। मैं तुम्हारे बिना कहीं नहीं जा सकती। तुम्हीं मेरे जीवन का सबसे बड़ा प्यार हो।"
रमेश की आंखों में आंसू थे, लेकिन अब वो राहत के आंसू थे। उसने सुमन को गले लगाया और कहा, "तुम्हारा यह मजाक बहुत भारी पड़ा, लेकिन चलो अब चांद का इंतजार करते हैं।"
इस तरह करवाचौथ की यह रात रमेश और सुमन के लिए एक यादगार बन गई, जो शायद वो कभी नहीं भूल पाएंगे।
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